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ज़िन्दगी गुलज़ार है

१७ अक्टूबर – ज़ारून

आज तैमूर की पहली बर्थ-डे थी और मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे वह बहुत बड़ा हो गया है. हालांकि हकीकत में ऐसा नहीं है. वह तो अभी बहुत छोटा-सा है. कभी-कभी मुझे हैरत होती है कि वक्त कितनी तेजी से गुजर जाता है. अभी कल ही वह हमारी दुनिया में आया था और आज एक साल का हो गया. लेकिन यह एक साल मेरी ज़िन्दगी का ख़ूबसूरत-तरीन साल था, क्योंकि मैं एक नये रिश्ते से आशना (परिचय) हुआ. मुझे बच्चों से कभी भी बहुत दिलचस्पी नहीं रही, लेकिन अपने बेटे के लिए पता नहीं इतनी मोहब्बत मेरे पास कहाँ से आ गई है. मुझे उसकी हर बात अच्छी लगती है. उसका रोना, उसका हँसना, उसकी आवाज़, उसकी खिलखिलाहट, हर चीज़ अच्छी लगती है, क्योंकि वह मेरा बेटा है.

घर क्या होता है, यह मैंने इन दो सालों में जाना है. वरना मैं तो यही समझता था कि घर रुपये और स्टेटस से बनता है. लेकिन यह अब समझ में आया है कि रुपया पैसा इतना ज़रूरी नहीं है, जितना एक-दूसरे के लिए मोहब्बत और तवज़्ज़ो ज़रूरी है. मेरे वालिदान मुझसे बहुत ज्यादा मोहब्बत करते थे. इसके बावजूद उनके पास कभी भी मेरे लिए वक्त नहीं था, सिर्फ़ रुपया था और मैं भी घर में तन्हा बैठने के बजाए दोस्तों के साथ घूमता रहता था, गर्लफ्रेंड बनाता था और उसी को ज़िन्दगी समझता था. लेकिन मैं अब सारा वक्त कशफ़ और तैमूर को देना चाहता हूँ, सिर्फ़ ऑफिस टाइम के अलावा. मैं चाहता हूँ, मेरा बेटा जाने कि उसके वालिदान वाकई उससे मोहब्बत करते हैं और उनके लिए उसकी ज़ात सबसे ज्यादा अहम है. फिर जब वह बड़ा होगा, तो वह मेरी तरह आवारा नहीं फिरेगा क्योंकि  उसे पता होगा कि उसके घर में उसका इंतज़ार करने के लिए कुछ लोग मौजूद हैं, जो उसकी परवाह करते हैं.

अगर मैंने अपनी सोसाइटी की किसी लड़की के साथ शादी की होती, तो शायद मैं आज भी पहले ही की तरह अपना ज्यादातर वक्त घर से बाहर ही गुजारता. लेकिन ख़ुशकिस्मती से ऐसा नहीं हुआ. मेरी ज़िन्दगी में घर की कमी थी और वह कशफ़ ने पूरी कर दी. अगर वह ना होती, तो शायद मैं आज अपने आपको इतना मुकम्मल, इतना पुर-सुकून महसूस ना करता. लेकिन मेरे घर को सही मायनों में घर बनाने वाली वो एक है. जब से मैं ख़ुद बाप बना हूँ, मुझे अपने वालिदान पहले से ज्यादा अच्छे लगने लगे हैं. उनकी सारी ख़तातियों (गलतियों) के बावजूद मुझे उनसे पहली कि निस्बत (तुलना में) ज्यादा मोहब्बत महसूस होती है, क्योंकि वो मेरे वालिदान है. उन्होंने मुझे बहुत कुछ दिया है और अगर कुछ मामलात में कोताही बरती है, तो बहुत सारी बातों में भी मैं भी लापरवाह रहा हूँ.

आज का दिन अच्छा गुजर गया और मैं अपनी बाकी ज़िन्दगी इसी तरह गुजारना चाहता हूँ. छोटी-छोटी ख़ुशियों के सहारे, किसी बड़े सदमे के बगैर. 

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2 Comments

Radhika

09-Mar-2023 04:17 PM

Nice

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Alka jain

09-Mar-2023 04:04 PM

बहुत खूब

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